भारत सरकार
तथ्य यह है कि भारत सरकार को प्रसार भारती के आउटलेट के रूप में डीडी न्यूज और ऑल इंडिया रेडियो के मालिक के रूप में पहचाना जाना चाहिए यह अपने आप में एक कहानी है। एक समय मे, प्रसार भारती का मतलब एक स्वायत्त संगठन था जो सरकार से स्वतंत्र है। अस्सी और नब्बे के उत्तरार्ध में दूरदर्शन, सार्वजनिक प्रसारक के रूप मे केंद्र की सत्ता के मुखपत्र जैसा दिखा। इस समय दूरदर्शन एकमात्र एकतरफा रूप से टेलीविजन समाचार प्रदाता था। प्रसार भारती अधिनियम, 1990 अस्तित्व मे आया जिसने सरकार और सार्वजनिक प्रसारक के रूप मे इस आउटलेट को बदलने की माग की।
1997 तक यह अधिनियम एक वास्तविकता बन गया। हालाँकि भारत सरकार को "स्वतंत्र समाचार कवरेज" की एक उपयुक्त भावना तो मिल सकी मगर मूल रूप से यह पहले जैसे था।
प्रसार भारती अधिनियम के अनुच्छेद 32 और 33 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रसार भारती को सभी महत्वपूर्ण मुद्दों में केंद्र सरकार के अनुमोदन की आवश्यकता होगी, जिसमें कर्मियों की भर्ती और निगम के कर्मचारियों के वेतन भी शामिल हैं। प्रसार भारती केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से समर्थित है। सरकार मासिक आधार पर निगम को भुगतान जारी करती है। 2018 में, स्मृति ईरानी उस समय सूचना और प्रसारण मंत्री थीं प्रसार भारती से एक महीने के लिए धन वापस ले लिया गया यह वेतन का भुगतान करने के लिए आवश्यक थे। इसका कारण प्रसार भारती का राष्ट्रीय प्रसारक की कीमत पर निजी प्लेयर्स को मोटी फीस देना था। निगम को वेतन का भुगतान करने के लिए अपनी आकस्मिक निधि का उपयोग करना पड़ा।
दिलचस्प किस्सों में से एक यह है: प्रसार भारती बना ही था स्वतंत्र समाचार के लिए । आज, इतने निजी चैनलों के द्वारा स्वतंत्र, निष्पक्ष समाचार दर्शकों के लिए वैसे ही उपलब्ध है ।
अतिरिक्त जानकारी
मेटा डेटा
उपयुक्त जानकारी प्रसार भारती की वेबसाइट, डीडी न्यूज वेबसाइट और प्रसार भारती की वार्षिक रिपोर्ट से एकत्र किया गया है। अधिक जानकारी, और एकत्र किए गए डेटा की पुष्टि के लिए प्रसार भारती से 1 मई को ईमेल और 3 मई 2019 को एक कुरियर के माध्यम से प्रतिक्रिया मांगी गई थी। जबाव का इंतजार है।