मीडिया का स्वामित्व महत्वपूर्ण क्यों है?
मास मीडिया समाज में तथ्यों को देखने और बहस करने के तरीके को प्रभावित करता है। मीडिया में स्वतंत्रता और बहुलवाद, जनमत और विचार- सत्ता में लोगों की आलोचना सहित- एक स्वस्थ लोकतंत्र को अंकित करता हैं। स्वामित्व बहुलवाद की निगरानी और सुनिश्चित करना स्वतंत्रता और पसंद की स्वतंत्रता की दिशा में पहला कदम है।
भारत में, मीडिया उद्योग ने समाचार टेलीविजन चैनलों, ऑनलाइन और ऑफलाइन समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की बढ़ती संख्या के साथ अपार वृद्धि देखी है। निश्चित रूप से, मोबाइल फोन जैसे उपकरणों के लिए लाइव समाचार के उपभोगताओं की संख्या आज हर दिन बढ़ ही रहा है। मीडिया की पहुंच में जो ये वृद्धि हुई है, विशेष रूप से समाचार में , क्या ये विचारों की बहुलता और विविधता में योगदान करते हैं या क्या इसने एक तरफ़ा राय को मजबूत करने और विवादास्पद आवाज़ों को चुप कराया है?
प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए मीडिया स्वामित्व संरचना महत्वपूर्ण है। यदि स्वामित्व एक निश्चित समूह के हाथों में रहता है, जिनके पास विशिष्ट राजनीतिक या व्यावसायिक संबद्धताएं हैं, तो परिणाम एक विवश प्रेस स्वतंत्रता और अस्वस्थ लोकतंत्र हैं।
भारत में, मीडिया का स्वामित्व, एक विशेष क्लब है? या स्वामित्व समाज के विभिन्न समूहों और क्षेत्रों में फैला हुआ है? क्या जिस तरह से समाचार का प्रसार होता है, क्या उसकी बहुलता है, या यह एक विचार और एक एजेंडा का प्रचार करता है?
मीडिया ओनरशिप मॉनिटर - भारत के अध्ययन से पता चलता है कि जहां मीडिया का स्वामित्व राष्ट्रीय स्तर पर काफी बहुवचन है, यह क्षेत्रीय स्तर पर पहुंचने पर अत्यधिक केंद्रित है। इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि जो राष्ट्रीय स्तर पर जो कंपनी शीर्ष स्थान पर हैं, क्षेत्रीय स्तर पर उन्हें स्थानीय खिलाडियों का सामना करना पड़ता है , जिनका क्षेत्रीय स्तर पर बोलबाला है।
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